प्री-इजैकुलेशन यानी शीघ्रपतन एक ऐसी यौन स्थिति होती है जिसमें यौन संबंध बनाने से तुरंत पहले या बाद में पुरुष इजैकुलेट कर देते हैं। यह पुरुषों की खुद पर कंट्रोल रखने की क्षमता को प्रभावित करता है। जिसका असर सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है। प्री-इजैकुलेशन के पीछे और भी कई कारण हो सकते हैं। यह सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि साइक्लोजिकल स्ट्रेस की वजह से भी होता है।
हालांकि यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसका ध्यान रखना जरुरी होता है। प्री-इजैकुलेशन के बारे में कई महिलाओं को पता ही नहीं होता है और इसे लेकर महिलाओं के दिमाग में कई तरह की बाते होती है।
आइए जानते है कि महिलाओं को प्री-मैच्योर इजैकुलेशन के बारे में क्या-क्या बातें मालूम होनी चाहिए।
प्री-इजैकुलेशन का प्रेगनेंसी पर असर?
क्सर कई महिलाओं का ये सवाल होता है कि अगर उनके साथी को प्री-इजैकुलेशन की समस्या है तो क्या वो आसानी से प्रेगनेंट हो सकती हैं? तो इसका जवाब हां है। प्री-इजैकुलेशन में भी स्पर्म होते हैं हालांकि इजैकुलेशन की तुलना में प्री-इजैकुलेशन में स्पर्म की गुणवत्ता थोड़ी कम होती है।
प्री-इजैकुलेशन और इजैकुलेशन में अंतर
प्री-इजैकुलेशन और वास्तविक इजैकुलेशन के बीच एकमात्र अंतर यह है कि सिक्रेशन बाहर आता है। वास्तविक इजैकुलेशन में द्रव्य (फ्लूइड) टेस्टीकल्स से बाहर आता है। हालांकि, प्री-इजैकुलेशन में यह कॉपर्स ग्लैंड नामक ग्रंथि से बाहर आता है। हालांकि दोनों ही स्थितियों में द्रव एक समान होता है लेकिन शुक्राणु की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है।
महिलाओं में भी होती है प्री-इजैकुलेशन की समस्या?
कुछ परिस्थितियों में महिलाओं को भी प्री-इजैकुलेशन की समस्या हो सकती है। महिलाओं में पाई जाने वाली बर्थोलिन ग्रन्थि पुरुषों में पाई जाने वाली कॉपर्स ग्रन्थि की तरह होती है। जो पेनेट्रेशन के दौरान वेजाइना में नमी प्रदान करते हैं और ये वजाइना के ऊपरी भाग में ही होता है। चूंकि महिलाओं का जननांग अंदर की तरफ विकसित होता है, इसलिए वह स्खलन को ठीक से समझ ही नहीं पाती हैं। महिलाओं को सोते वक्त कई बार जननांग या उसके आसपास दबाव पड़ने, घर्षण आदि के कारण कामोत्तेजना का अहसास होता है। ऐसा अक्सर कसे कपड़े पहनने के कारण होता है।